एक पत्त्थर यदि किसी जुआरी को मिल जाए उसे ठोकर मिलेगी,
और वही चमकता पत्त्थर यदि किसी जौहरी को मिल जाए, उसे तराश के हीरा बना दे।
हो सकता है पारस भी बना दे।
बस मायने रखती है ये बात की आप किस संगत में हो।
A. समय गंवाने वाले नौसिखिओ की या सिर्फ हौंसले के बल पे दुनिया जीत लेने वालों की।
B. किसी के लिए अपने समय, अपने सपनों का चंद रुपयों के लिए सौदा करने वालों की, या अपनी काबिलियत को निखार कर अपने आप के लिए काम कर एक नई दास्तान लिखने वालों की।
C. होशियारी का चोला ओढ़े नई बेवकूफियां करने वालों की, या पागलों की तरह लोगों की गलती से सिख लेकर एक नया नाम कर जाने वालों की।
D. इसने ये किया उसने वो किया करने वालो की, या हमें क्या करना है और हमें खुद में क्या सुधार करना ये चिंतन, मनन और उस पर कार्य करने वालों की।
E. नाकामियों के टोपले किसी और के सर मढ़ने वालों की, या फिर अपनी और अपनी टीम की नाकामयाबी को खुद पे लेकर और मज़बूत बनने वालों की।
ये समय, ये मौके, ये दस्तूर उस परवरदिगार ने आपके लिए ही बदले हैं। खुद अकेले जितना और सबको जीता के जितने का फर्क जिस दिन समझ आ जाएगा, आप सच्ची जीत दर्ज करा लेंगे।
किसी की गुलामी और अपने समय का किसी रकम के लिए सौदा करने से पहले अपने आप की सही झलक दिखला ने वाले सच्चे लोगों से जुड़े, जौहरी ही आपकी सही परख कर सकता है,
और जब तक आप खुद एक जौहरी बन कर औरों की तराश ना कर सके, खुद पे कार्य करते रहिए।
मज़बूत इमारत की नीव बनने में ही सबसे ज्यादा समय लगता है, और वो नीव दिखाई भी नही देती। पर वही नीव उस इमारत को आज कल और हमेशा के लिए मजबूती देती है।
आइए हम सब मिलकर एक नई शुरुआत करे, और हमारे मजबूत भविष्य की नीव रखें।
जय हिन्द, जय भारत।
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